महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले एनसीपी के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल का नाम राज्य की राजनीति में सभी जानते हैं। मनी लॉन्ड्रिंग केस में वह दो साल तक जेल में भी रहे और पिछले साल ही जमानत पर बाहर आए। शिव सेना और एनसीपी के हाथ मिलाने पर भले ही सवाल उठ रहे हों, लेकिन छगन भुजबल का शिव सेना के साथ एक खास रिश्ता रहा है। दरअसल मुंबई के भायखला बाजार में सब्जी बेचने वाला एक युवक बाल ठाकरे के भाषणों से काफी प्रभावित था। उस युवक की मां भी इसी बाजार में छोटी सी दुकान में फल बेचती थी। मगर बाल ठाकरे से प्रभावित होकर इस नौजवान ने काम छोड़ राजनीति में जाने का फैसला कर लिया। इस महत्वाकांक्षी युवक का नाम था छगन चंद्रकांत भुजबल। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और शिव सेना में शामिल हो गए। मुंबई के मेयर बने वर्ष 1985 में, वह मुंबई के मेयर में चुने गए थे। उस समय, छगन भुजबल शिवसेना के लीलाधर डाके और सुधीर जोशी जैसे दूसरे स्तर के नेताओं की कतार में शामिल हो गए। बाला साहेब का भी छगन पर भरोसा बढ़ने लगा। इसलिए छोड़ी शिव सेना : शिव सेना ने 1989 में हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया। 1990 में शिव सेना के 52 विधायक पहली बार चुने गए। बाल ठाकरे ने विपक्ष के नेता की कुर्सी मनोहर जोशी को दे दी जबकि इस पर भुजबल की नजर थी। माना जा रहा है कि इसी वजह से उन्होंने शिव सेना छोड़ने का फैसला कर लिया। शरद पवार कांग्रेस में लाए 1991 में भुजबल ने नागपुर में विधानसभा सत्र के दौरान नौ विधायकों के साथ कांग्रेस में प्रवेश किया। माना जाता है कि वही भुजबल को कांग्रेस में लाए थे। बाद में शरद पवार के साथ उन्होंने एनसीपी बनाई।
बाल ठाकरे हुए नाराज छगन भुजबल के शिव सेना छोड़ने से बाल ठाकरे बेहद नाराज थे। उन्होंने छगन भुजबल को 'लखोबा लोखंडे' का नाम दिया। लखोबा लोखंडे 'तो मी नव्हेच' नाम के मशहूर मराठी नाटक का एक बदनाम पात्र था, जो नाटक में कई शादियां करता है। ऐसी खबरें भी आईं कि इसके बाद से भुजबल शिव सैनिकों के निशाने पर आ गए। शिव सैनिक ने भुजबल के बंगले पर हमला करने की भी कोशिश की। जो अंडा सेल बनवाया, उसी में रहे : 2014 में हाथ से सत्ता जाने के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसते चले गए। मार्च 2016 में दिल्ली में बने महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में उनको गिरफ्तार किया गया। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया था। उन्हें मुंबई के आर्थर रोड जेल में भेज दिया गया। 4 मई, 2018 को उन्हें जमानत मिली। रोचक बात यह है कि आर्थर रोड़ में जिस अंडा सेल का निर्माण उन्होंने करवाया, उसी में उन्हें गिरफ्तारी के बाद रखा गया।