IMA: बेटे ने किया पिता जी का सपना पूरा......................................

 

कानपुर के भूपेंद्र सिंह भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) की पासिंग आउट परेड का अंतिम पग पार करके सैन्य अफसर बन गए हैं। सैन्य अफसर बनकर उन्होंने किसान पिता तकदीर सिंह का सपना पूरा किया है।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि उनके पिता भी भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे, लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह अपना सपना पूरा नहीं कर सके और उन्हें खेतीबाड़ी चुननी पड़ी।इसके बाद उन्होंने ठानी कि उनका जो सपना पूरा नहीं हो सका, उसे उनका बेटा पूरा करे। भूपेंद्र सिंह के अनुसार पिता ने उन्हें सेना में जाने के लिए प्रेरित किया और हर तरह से सहयोग किया। इसके लिए पिता को कई बार अपनी सुख-सुविधाओं के साथ भी समझौते करने पड़े। आज वो जिस भी मुकाम पर पहुंचे हैं, उसका पूरा श्रेय पिता तकदीर सिंह को जाता है। भूपेंद्र सिंह घाटमपुर कानपुर के रहने वाले हैं।

एक और किसान का बेटा बना सेना में अफसर 

रोहतक के आशीष अहलावत ने भारतीय सेना का अफसर बनकर किसान पिता कुलदीप अहलावत का सीना गर्व से चौड़ा किया है। आशीष अहलावत ने बताया कि उनके पिता किसान हैं। बचपन से ही सेना में जाने का जुनून था। भारतीय सेना को देखते ही उनके भीतर अद्भुत अहसास होने लगता था।इसके बाद भारतीय सेना में भविष्य बनाने का निर्णय लिया। इसमें पिता ने पूरा सहयोग किया। सैन्य अफसर बनने से पिता की मेहनत सफल हो गई है। उनकी सफलता पिता को समर्पित है। पिता कुलदीप अहलावत ने भी बेटे की सफलता पर खुशी जाहिर की है। 

पिता बीएसएफ में, बेटा बना सैन्य अफसर

गाजीपुर, उत्तर प्रदेश निवासी दिनेश यादव ने सैन्य अफसर बनकर अपने पिता का सपना पूरा किया है। दिनेश यादव ने कहा कि उनके पिता दीनानाथ यादव भारतीय सुरक्षा बल (बीएसएफ) में इंस्पेक्टर रहे हैं। वह चाहते थे कि उनका बेटा भारतीय सेना में जाकर भारत माता की रक्षा करे। आज उन्होंने सेना में शामिल होकर पिता का सपना पूरा किया है।


इकलौता बेटा भारत माता को समर्पित किया



भारतीय सेना में अफसर बने युगल कुमार इकलौते बेटे हैं। लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें अपनी सेवा की बजाय भारत माताकी सेवा में समर्पित करने का निर्णय लिया है। युगल कुमार भी अपने माता-पिता के इस साहसिक फैसले से प्रेरित हैं।

युगल ने कहा कि उनके पिता वीरेंद्र पाल सिंह चाहते थे कि उनका बेटा भारत माता की सेवा करे। जिनके माता-पिता ही मिसाल पेश करेंगे, उनके बच्चों में स्वयं ही ऊर्जा का संचार होगा। उन्होंने बी.टेक किया और अब सेना में अपनी सेवाएं देंगे। वह मेरठ के रहने वाले हैं। 

पापा की सीख से बेटा बना सैन्य अफसर
सैन्य पृष्ठभूमि से रहे पिता की सीख ने बेटे अंकुश तोमर को सैन्य अफसर बनाने में बहुत मदद की। भारतीय सेना में अफसर बने अंकुश तोमर ने कहा कि अपनी सफलता का श्रेय वह पिता धीरज सिंह को देते हैं। उन्होंने कहा कि पिता सैन्य पृष्ठभूमि से रहे हैं। इसलिए घर में सैन्य परंपरा रही है। बचपन से वह सैन्य परंपराओं के बीच पले-बढ़े हैं।

इसलिए मन में सेना के प्रति जुनून बचपन से ही। जब उन्होंने सेना में शामिल होने का निर्णय लिया तो उनके पिता ने भी उनको बहुत प्रेरित किया। पिता धीरज सिंह ने कहा कि अंकुश इकलौते बेटे हैं, लेकिन उन्हें गर्व है कि उन्होंने अपने बेटे को भारत माता की सेवा में समर्पित किया। वह सोराना, सहारनपुर के रहने वाले हैं। 

तरुण ने शहीद ताऊ का सपना किया पूरा


अपने शहीद ताऊ होशियार सिंह धनिक से प्रेरणा लेकर तरुण धनिक भी भारतीय सेना में शामिल हुए। तरुण सेना में शामिल हुए तो उनके शहीद ताऊ का सपना भी पूरा हुआ। तरुण अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने शहीद ताऊ की शौर्य एवं पराक्रम से भरी गाथा को देते हैं। वह कहते हैं कि जिसके परिवार में वीरों का लहू हो वो देशसेवा से पीछे कैसे रह सकते हैं।


तरुण ने बताया कि ताऊ होशियार सिंह धनिक 1989 में श्रीलंका में पवन ऑपरेशन में शहीद हुए थे। इस ऑपरेशन में उन्होंने साहस एवं पराक्रम का प्रदर्शन किया था, जिसे भारतीय सेना ने काफी सराहा था। उन्हें मरणोपरांत सेना मेडल भी मिला। ताऊ को भारतीय सेना से बहुत लगाव था, वो चाहते थे कि अगली पीढ़ी भी सेना का हिस्सा बने। इसलिए मैंने भी सेना में शामिल होकर देशसेवा का प्रण लिया।


तरुण बेरिनाग (पिथौरागढ़) के रहने वाले हैं। तरुण के सैन्य अफसर बनने पर उनकी मां कमला देवी भी भावुक हो उठी। कमला देवी ने कहा कि तरुण ने अपने शहीद ताऊ का सपना पूरा किया। तरुण के पिता आरआईएमसी में कार्यरत हैं।


चौथी पीढ़ी के ललित सेना में बने अफसर 






हरियाणा के रेवाड़ी में एक परिवार ऐसा भी है, जिसके सदस्य चौथी पीढ़ी से लगातार सेना में हैं। भारतीय सेना में शामिल होना इस परिवार की परंपरा बन चुकी है। इसी परिवार के चौथी पीढ़ी के ललित कुमार ने भी शनिवार को भारतीय सेना में अफसर बनने का गौरव प्राप्त किया है। ललित को अफसर की पोशाक में देखने के लिए 94 वर्षीय दादा सूबेदार उमराव सिंह भी आईएमए पहुंचे थे।ललित कुमार के अनुसार उनके परिवार का सेना से पुराना नाता है। उनके परदादा आसाराम ने प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था। इसके बाद दादा उमराव सिंह ने भी सूबेदार के पद पर सेवाएं दीं। इसके बाद ताऊ चंदन सिंह व पिता महेंद्र सिंह भी भारतीय सेना में शामिल हुए।इसके बाद अब मैंने भी भारतीय सेना में अपना भविष्य देखा। दादा का सपना था कि मैं सेना में अफसर बनूं। इसीलिए वह शारीरिक रूप समर्थ न होने के बावजूद पीओपी देखने पहुंचे हैं। सैन्य अफसर बनने के बाद ललित कुमार ने सबसे पहले दादा के पैर छूकर आशीर्वाद मांगा।




84 गांवों में मात्र दो सैन्य अफसर


बनाड जोधपुर राजस्थान के बुद्धाराम के दो बेटे सेना में अफसर बन गए हैं। एक बेटा जगदीश चौधरी शनिवार को बतौर अफसर सेना में शामिल हुआ है वहीं दूसरा बेटा राकेश चौधरी सेना में कैप्टन है। दोनों बेटों को सेना की वर्दी में देखकर बुद्धाराम काफी खुश हैं। वह खुद भी सेना में हैं।बुद्धाराम का कहना है कि उनका सपना था कि उनके  बेटे सेना में अफसर बनें, जो आज पूरा हो गया है। वह कहते हैं कि उनके आसपास करीब 84 गांव हैं। वहां से सेना में तो बहुत लोग हैं, लेकिन अफसर केवल उन्हीं के बेटे हैं। जगदीश का कहना है कि उनके पिता का सपना था कि वह अफसर बने। पिता से प्रेरणा लेकर ही मैंने यह राह चुनी। पिता का सपना पूरा करना एक बेटे के लिए गर्व की बात है। 




फ ख्र है हिंदुस्तान और हिंदुस्तान की सेना पर
जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा के शाहिद शाह बतौर अफसर भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं। उनकी एसीसी एंट्री है। शाहिद के  पिता शकील शाह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में अधिकारी थे। अम्मी जवादा बेगम गृहणी हैं। बहन शबनम शफी अभी पढ़ रही है।शाहिद कहते हैं कि उनके  अब्बा व अम्मी की शुरू से हसरत थी कि मैं सेना का हिस्सा बनूं। आज उनका सपना हो गया है। इससे लिए वह खुद पर गर्व कर रहे हैं। शाहिद कहते हैं कि भारत नायाब मुल्क है। यहां पर सभी धर्म व जातियों-बिरादरियों के लोग रहते हैं। भारत विविधता से भरा मुल्क है। यह एक सुंदर बाग की तरह है। उन्हें हिंदुस्तानी व सेना का अफ सर होने पर फख्र है।भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें एक अच्छा इंसान व आदर्श सेना अधिकारी बनने की ट्रेनिंग मिली। आईएमए में पूरी तरह से सेक्यूलरिज्म वाला माहौल है। यहां पर किसी की बिरादरी और मजहब धर्म को लेकर बात नहीं की जाती। सभी धर्मों की इज्जत और आदर होता है। अब एक अच्छा अफसर बनकर देश की सेवा करने की हसरत है।




दादा से मिली प्रेरणा


भारतीय सेना में अफसर बनने वाले पिथौरागढ़ के विवेक थरकोटी अपनी सफलता का श्रेय दादा को देते हैं। विवेक ने कहा कि उन्हें भारतीय सेना से खास लगाव था। लेकिन उनके पिता बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। ऐसे में उनके दादा ने उन्हें प्रेरित किया। विवेक ने कहा कि वह ग्राम लेलुवड़ा (पिथौरागढ़) के रहने वाले हैं।



 


अर्जुन सिंह बने सैन्य अफसर

पासिंग आउट परेड पास करके बागेश्वर के अर्जुन सिंह भी भारतीय सेना में बतौर अफसर शामिल हो गए हैं। अर्जुन के पिता चंदन सिंह भी सेना में सूबेदार के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। उनके दादा भी सेना में रहे हैं। चंदन सिंह ने कहा कि बेटा अर्जुन के सेना में शामिल होने पर उनकी तीन पीढ़ियां सेना से जुड़ गई हैं।
उन्होंने कहा कि उनके पिता बतौर शॉल्जर सेना में रहे। इसके बाद वह सूबेदार और अब उनका बेटा अर्जुन सिंह बड़े सैन्य अफसर के रूप में शामिल हुए। उन्होंने हंसी भरे अंदाज में कहा कि हर पीढ़ी में रैंक में तरक्की हो रही है। वह द्वारसू, बागेश्वर के रहने वाले हैं।

भाई ने नेवी, रोहित ने चुनी भारतीय सेना

आईएमए में कड़े प्रशिक्षण और पासिंग आउट परेड पास करके हल्द्वानी के रोहित जोशी भी भारतीय सेना का हिस्सा बने। रोहित जोशी ने कहा कि उन्हें भारत माता की रक्षा करने का अवसर मिला है। वह सौभाग्यशाली हैं। उनके छोटे भाई रजत जोशी नेवी में सेवाएं दे रहे हैं और उन्होंने भारतीय सेना को चुना।पिता नंदा वल्लभ जोशी ने बताया कि उनके दोनों बेटे रक्षा सेनाओं में शामिल हुए हैं। यह उनके लिए गौरवशाली क्षण है। पिता पेशे से फार्मेसिस्ट हैं। रोहित ने निर्मला कॉन्वेंट हल्द्वानी से पढ़ाई की है। वह हिम्मतपुर मल्ला हल्द्वानी के रहने वाले हैं।

शुभम ने दादा को दिया श्रेय

अल्मोड़ा के शुभम बिष्ट भारतीय सेना का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं। शुभम ने कहा कि भारतीय सेना का हिस्सा बनना किसी भी भारतीय के लिए गर्व की बात होता है। उन्होंने कहा कि उनके दादा चंद्रमोहन सिंह बिष्ट एयरफोर्स में रहे हैं। दादा ने उनका मार्गदर्शन करने में बहुत मदद की। पिता सुंदर सिंह ने बताया कि वह पेशे से होटल मैनेजर हैं। वह कटारमल (अल्मोड़ा) के रहने वाले हैं।